लेमानी तंत्र साधना से कोई भी कार्य का समाधान प्राप्त किया जा सकता है| दुनिया के सभी धर्मों में ईश्वर तथा प्रेतात्मा की अवधारणा प्रारंभ से ही रही है। इसके पीछे ठोस तर्क यह है कि यदि हम ईश्वर को मानते हैं, उन्हें चेतन मानकर उनसे अपना सुख-दुख कहते हैं, कष्ट हरने की प्रार्थना करते हैं, तो प्रेतात्मा भी अवश्य है, जो नकारात्मक शक्तियों से सम्पन्न है। जिज्ञासु प्राणी मनुष्य सदैव सृष्टि के समस्त शक्तियों को अपने वश करने के लिए व्याकुल रहा है। तंत्र-मंत्र ने उसे अशरीरी आत्माओं को गुलाम बनाकर अपना अभीष्ट सिद्ध करने का वाम मार्ग दिया। वाम इसलिए साधारणतया भूत-प्रेत को साधने की बजाय लोग उससे दूर रहना श्रेयस्कर समझते हैं। परंतु सुलेमानी तंत्र साधना जिन्न के नाक में नकेल डालकर पालतू बनाने की विद्या है। जब तक साधक हाथ में उसकी नकेल है, वह उसके सामने गिड़गिड़ाता रहेगा। हर फरमाईश पूरी करेगा। परंतु जैसे ही नकेल हाथ से छूटी वह प्राण लेने से भी पीछे नहीं हटेगा।
सुलेमानी तंत्र साधना वशीकरण शाबर मंत्र
सुलेमानी तंत्र विद्या द्वारा जिन्न का आवाहन किया जाता है। जिसे हम भूत-प्रेत आदि कहते हैं उन्हें कुरान में जिन्न कहा गया है। कुरान के अनुसार जिन्न ऊपरी हवा से उत्पन्न होता है। परंतु आशय नकारात्मक ऊर्जा से ही है। इस्लाम धर्म के अनुसार मौत के बाद इंसान जिन्न बन जाता है। ये इफरित में रहते हैं। सिला स्त्री जिन्न को कहा जाता है। सुलेमानी तंत्र साधना को प्रयोग में लेने से पहले अवश्य परामर्श करे|
सुलेमानी साधना/शाबर मंत्र:-
सुलेमानी तंत्र साधना के अंतर्गत दो प्रकार की आत्माओं पर नियंत्रण स्थापित किया जाता है। प्रथम कोई भी मृतात्मा, द्वितीय अपने जीवन काल में पहुंचे हुए पीर, फकीर, संत आदि। द्वितीय श्रेणी के आत्माओं के लिए चैकी लगायी जाती हैं। उन्हें सम्मान सहित आमंत्रित किया जाता है। अपनी इच्छा बतायी जाती है, जिसे पूरी करने के बाद वे लौट जाते हैं। जबकि प्रथम श्रेणी की आत्माएं दास बनकर सदैव इच्छा पूरी करती है। चूंकि यह साधना अंगारों से खेलने के समान है, इसलिए सर्वप्रथम कुछ खास सावधानियों का जिक्र जरूरी है-
- योग्य गुरू के बिना यह साधना बिल्कुल न करें।
- यह साधना एकांत स्थल पर ही करें।
- स्वच्छता का ध्यान रखें। कहीं कहीं नियमों ब्रम्हचर्य पालन करने की बात भी कही जाती है, परंतु इस्लाम धर्म में कहीं भी ब्रम्हचर्य आदि का वर्णन नहीं है। चूंकि इसके जरिये पीर फकीरों को भी बुलाया जाता है, इसलिए थोड़ा सा ही सही लेकिन इस्लाम सम्मत नियमों का ही पालन होना चाहिये।
- अपने हाथों से पका भोजन करें तथा अकेले सोयें।
- चमड़े से बनी वस्तुओं का साधना अवधि में त्याग कर दें।
- आत्मविश्वास, सामने वाले पर हावी होने की मंशा रखें।
- कमजोर जिगर वाले इससे दूर रहें क्योंकि कई जिन्न, यहां तक कि पीर-फकीरों की आत्माएं भी अपने चैन में खलल सहन नहीं कर पातीं हैं और प्रत्यक्ष होने पर पहले बहुत डराती हैं। संतों और पीर की आत्माएं मुक्के और घूंसे भी बरसा सकतीं हैं। ऐसे में भयभीत होने का अर्थ अपने प्राणों से हाथ धो लेने जैसा है।
- पीर फकीरों की चौकी लगाने के लिए उनके नामयुक्त अलग-अलग मंत्र होते हैं। इसलिए पहले सुनिश्चित कर लें। आपको किसे बुलाना है, कितने समय के लिए बुलाना है। यदि सर्वकालिक दास चाहिये तो किसी भी जिन्न को बुलाया जा सकती है, परंतु मानव मांस भक्षण करने वाले धूल जिन्न से दूर हें।
- किसी भी जिन्न को बुलाने से पहले सुलेमानी रक्षा साधना आवश्यक है।
सुलेमानी रक्षा साधना:-
साधना प्रारंभ करने के लिए शुक्ल पक्ष का पहला रविवार चुनें। सफेद वस्त्र पहनकर तथा सफेद रूमाल अथवा टोपी से सर ढंकर कर पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके खड़े हो जाएं तथा निम्नलिखित मंत्र का जाप 5 माला करें।
“अयातुल कुसीक्क्ष, आगे कुरान पीछे तू रहमान, खुदा रखे धड़ सर रखे सुलेमान”
यह क्रिया निंरतर 21 शुक्रवार तक करें। उक्त मंत्र में सीधे सुलेमान से ही रक्षा की प्रार्थना की गई है इसलिए अत्यंत शक्तिशाली और अचूक माना जाता है। किसी भी परिस्थित में इस मंत्र का उपयोग किया जा सकता है। यदि कोई अत्यधिक बीमार हो और दवाएं भी बेअसर साबित हो रहीं हो तो यह मंत्र पढ़कर उसके चारो ओर एक घेरा खींच दें। दवाओं का असर शुरू हो जाएगा। ठीक उसी प्रकार यात्रा में, सुनसान रास्तें पर अकेले चलते हुए, किसी पुराने खंडहर जैसे घर में अथवा ऐसी कोई जगह जहां अशरीरी आत्माएं अपनी मौजूदगी का एहसास दिला रहीं हो। यह मंत्र पढ़कर अपने चारो ओर एक घेरा खींच दें। आत्माएं आस-पास नहीं फटकेंगी।
सुलेमानी जिन्न साधना:-
यह साधना शुक्रवार से प्रारंभ करें तथा 21 दिन तक जारी रखें। एक करेला लेकर उसमें हींग भर दें। अब किसी सुनसान स्थान पर पश्चिम की ओर मुख करके खड़े हो जाएं। हाथ में करेला रखें। अब उपर्युक्त वर्णित सुलेमानी रक्षा मंत्र ग्यारह दफे पढ़ कर अपने इर्द-गिर्द एक घेरा बना लें। अब अपने गुरू से मन ही मन आज्ञा लें तथा निम्नलिखित मंत्र का जाप उसी घेर के अंदर नमाज की मुद्रा में बैठकर सफेद हकीक की माला पर 21 माला जाप करें –
ऐन-उल-हक-ये-जेतान:-
जाप समाप्त होने के बाद करेले को पश्चिम दिशा में फेंक दें तथा घर आकर स्नान कर लें। य हर दिन नया करेला इस्तेमाल करें। यह साधना इक्कीसवें दिन यह पूर्ण हो जाती है। इसके बाद जिन्न अपनी मौजूदगी दिखाता है तथा साधक की परीक्षा लेने के लिए तीन सवाल पूछता है। वह क्या पूछेगा इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। परंतु इतना तय है यदि आपने सही जवाब दिया तो वह तीन दफे आफरीन आफरीन कहेगा, और तीन मुराद मांगने को कहेगा। आप अपनी मुराद कहकर समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं। ध्यान रखें यह मंत्र जिस जिन्न को संबोधित है वह नेक तथा इंसाफ पसंद है। इसलिए जवाब सोच समझकर दें। यदि आपने गलत जवाब दिया तो वह लौट जाएगा, आपने उसका अपमान किया तो इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है। अलग-अलग प्रकार के जिन्नों के लिए मंत्र भी अलग होतें हैं। इसलिए साधना से पूर्व जिन्न के बारे में पड़ताल अवश्य कर लें।
सुलेमानी शाबर मंत्र:-
सुलेमानी तंत्र साधना में अधिकांश शाबर मंत्र ही प्रयोग किये जाते हैं। जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है सभी जिन्नों पर एक ही मंत्र इस्तेमाल नहीं होता है। उपर्युक्त नियमों का पालन करते हुए निम्नलिखित शाबर मंत्र का इस्तेमाल किया जा सकता है –
उदम-बीबी-फातिमा/कर मदद शेर-ए-खुदा
चढ़े मुहम्मद मुस्तफा मूजी किते जेर
बरकत हसन-हुसैन की/रूह असा वल फेर।
उक्त मंत्र में बीबी फातिमा को आवाज देकर मदद की गुहार लगाई गई है। संत आत्माएं आपके बुलावे पर आ जाएँ तो इन्हें बांधकर रखने की बजाय काम होने के बाद वापस भेज देना उचित होता है।
सुलेमानी तंत्र साधना एक ऐसी साधना है जिसके द्वारा जिन्न को प्रकट कर अपना कोई भी कार्य का समाधान किया जा सकता है| यदि सुलेमानी रक्षा साधना की आवश्यकता है तो इसके द्वारा रक्षा कवच बनाकर किसी से भी सुरक्षित रहा जा सकता है| सुलेमानी तंत्र साधना के द्वारा इच्छा अनुसार फल प्राप्त किया जा सकता है| किसी भी तंत्र साधना को प्रयोग में लेने से पहले जरूर हमसे सलाह मश्वरा करे|