माँ कामाख्या देवी वशीकरण साधना सिंदूर

माँ कामाख्या के महत्व व ख्याति को शब्दों के माध्यम से शायद ही पूर्ण रूप से बताया जा सके। एक पहाड़ी पर बना ये मंदिर देवी सती का मंदिर है और ये एक शक्तिपीठ भी है। इसका विस्तृत रूप तो आपको अंबुवाची मेले के दौरान ही देखने को मिल सकता है। पौराणिक शास्त्रों के अनुसार कभी ये पर्व सतयुग मे 16 वर्ष के एक बार आता था। लेकिन जैसे-जैसे युग बीते, तो द्वापर युग से लेकर, त्रेता युग व आज के कल युग मे ये पर्व हर साल ही जून के महीने मनाया जाता है।

माँ कामाख्या देवी वशीकरण साधना सिंदूर

देवी सती के आत्मदाह के बाद जब भगवान शिव उनके शरीर को लेकर भटक रहे थे, तब भगवान विष्णु के चक्र से खंडित होकर उनके शरीर के अंग 51 स्थानों पर गिरे और हर उस जगह शक्तिपीठ बन गया। उन्ही मे से ये भी एक है। इस स्थान पर देवी सती की योनि गिरी थी और पौराणिक शास्त्रों के अनुसार कहा गया है कि अंबुवाची पर्व के दौरान माँ भगवती रजस्वला होती हैं व तीन दिनों तक जल-प्रवाह की जगह रक्त प्रवाहित होता है। जिसे सफ़ेद रंग के वस्त्र से ढक दिया जाता है और जब तीन दिन बाद द्वार खोले जाते है तो वो मटा के रज से लाल रंग का हो चुका होता है। ऐसा माना भी गया है कि मात्र उस वस्त्र के टुकड़े को रखने से जादू-टोटके का असर नहीं होता। तांत्रिक साधना के दौरान इसका काफी महत्व होता है। ये टुकड़ा वहाँ गए भक्तों को प्रसाद के रूप मे दिया जाता है।

यही नहीं दूसरी आश्चर्य वाली बात ये है कि माँ कामाख्या देवी का मंदिर तंत्र-मंत्र पूजा का केंद्र माना जाता है, साथ ही लाखों लोग अपनी मनोकामनाए भी पूरी करने के इरादे से इस दौरान आते है। इस पर्व के दौरा दुनिया भर से श्रद्धालु व तांत्रिक विद्या करने वाले लोग भी आते है। इस पर्व के दौरान माँ भगवती के पास साधना करने से वो वो जल्दी पूरी हो जाती है- ये इसकी खासियत माना गया है। अब हम आपको कामाख्या मंत्र बताते है, जोकि इस प्रकार है: “”त्रीं त्रीं त्रीं हूँ हूँ स्त्रीं स्त्रीं कामाख्ये प्रसीद स्त्रीं स्त्रीं हूँ हूँ त्रीं त्रीं त्रीं स्वाहा””। ऐसा माना गया है की इस मंत्र के जाप से सभी कष्ट दूर हो जाते है व ये इंसान के पापों का भी नाश करता है।

मंत्र के अलावा माँ कामख्या का सिंदूर काफी मशहूर है। तो आखिर क्यूँ है ये इतना मशहूर! इसका साफ कारण ये है कि ये एक शक्तिपीठ है, जिसका अपना एक महत्व है और ये सिंदूर इसी शक्तिपीठ से प्राप्त होता है। कहा गया है कि जिसके पास भी कामख्या सिंदूर होता है उसके घर मे सुख-शांति बने रहने के अलावा भूत प्रेत, जादू-टोटके, वशीकरण आदि समस्यों से छुटकारा मिलता है। हम अब आपको एक अन्य मंत्र बताते है: ” कामाख्याये वरदे देवी नीलपावर्ता वासिनी | त्व देवी जगत माता योनिमुद्रे नमोस्तुते || “ इस मंत्र का जाप शुरू करने से पहले जातक के लिए जरूरी है की वो लाल रंग का वस्त्र पहन ले, फिर चाँदी की एक डिब्बी में सिन्दूर रख कर मंत्र का 108 बार जाप करे। इस मंत्र जाप को शुक्रवार से प्रारम्भ करके 7 दिन तक करे, फिर 7वे दिन डिब्बी से सिंदूर निकालकर मंत्र को 11 या 7 बार पढे तो फिर सिंदूर सिद्ध हो जाता है। सिंदूर के सिद्ध हो जाने के बाद आप इसमे केसर व चन्दन पाउडर मिलाकर थोड़ा गंगा जल भी मिला ले। फिर मंत्र का उच्चारण करने के दौरान माथे पर इसका तिलक कर ले। ऐसा करने से आपको देखने वाला व्यक्ति आपकी और आकर्षित होने लगेगा। वशीकरण का ये एक अच्छा उपाय है।

हम आपको एक मंत्र बताते है, जो की है: “ॐ कामाख्याम कामसम्पन्नाम कामेश्वरिम हरप्रियाम ।

कामनाम देहि मे नित्यम कामेश्वरि नमोस्तुते ॥ कामाख्या देवी की ये साधना कम से कम 11 दिन तक करनी चाहिए, जिसको आप किसी भी नवरात्रि मे कर सकते है। हर रोज 108 मनको की एक माला पड़े, जो रुद्राक्ष या लाल हकिक की हो। साधना शुरू करने से पहले लाल रंग के वस्त्र का आसन बिछा ले, फिर माँ भगवती के चित्र स्थापित करके, चमेली के तेल का दीपक जला ले। इसके उपरांत लाल कनेर का फूल माँ भगवती के चरणों मे अर्पित करते हुए मंत्र जाप शुरू करे। इससे आपकी न सिर्फ सभी मनोकामनाए पूर्ण होती है, बल्कि जातक का कल्याण भी होता है व जीवन के अनेक क्षेत्रों मे लाभ भी मिलता है। इसके अलावा हम आपको और भी कुछ ऐसे कामाख्या देवी के मंत्र बताते है, जिनका जाप करके आप उन्हे ताबीज़ मे पिरोकर धारण कर सकते है। वो मंत्र है 1. “क्लीं क्लीं कामाख्या क्लीं क्लीं नमः” 2. “कामाख्ये काम संपने कामेश्वरी हरि प्रिये, | “कमाना देहि में नित्य कामेश्वरी नमोस्तुते ||” ये मंत्र जीवन के दुखों को कम कर घर परिवार में खुशहाली का एक महोल बनाते है।

वैसे ये कहना गलत नहीं होगा की माँ कामख्या से जुड़ी हर एक बात काफी रोचक लगती है, पर पौराणिक शास्त्रों मे इस मंदिर के महत्व को जिस प्रकार वर्णन किया गया है उसे कोई भी नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता। कुल 51 शक्तिपीठों में माँ कामाख्या देवी के इस पीठ को सबसे विशेष माना गया है और ये माँ कामाख्या देवी के सिंदूर और मंत्रों की कृपा ही है, जिसकी प्राप्ति मे हर साल देश भर से भक्त उनके दर्शन को पहुचते है। सिर्फ भारत ही नहीं यहां बंगलादेश, तिब्बत और अफ्रीका जैसे देशों से भी तंत्र साधक यहां आकर अपनी तंत्र विद्या को सफल करते है।