तंत्र साधना की विभिन्न कड़ी में आज हम आपको रूद्रयामल तंत्र साधना एवं सिद्धि के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जिसे अपनाकर आप अपनी मनचाही कामनापूर्ति कर सकते हैंं | तो पेश है आपके लिए रुद्रयामल तंत्र साधना एवं सिद्धि- सबसे पहले आप यह जान ले कि भैरव जी और शिव जी की अराधना को अनिवार्य माना गया है तंत्र रुद्रयामल शास्त्र में साधक के लिए | साथ में आप यह भी जान लें कि शिव पुराण में काल भैरव को शिवजी का ही अवतार माना गया है | आपकी विशेष जानकारी के लिए यह भी बता दें कि जिस परम पुरुष को वेदों में रुद्र के रुप में दर्शाया गया है भैरव के रूप में उसी रुद्र को वर्णित किया गया है तंत्र शास्त्र में | हालांकि विष्णु-पुराण के अनुसार भैरव विष्णु का ही अंश है |
रुद्रयामल वशीकरण तंत्र साधना
कालभैरव के विभिन्न दस रूपों को वर्णित किया गया है दस महाविद्याओं सहित रुद्रयामल तंत्र में | आज भी मान्यता है कि किसी भी महाविद्या की सिद्धि संभव नहीं है अगर उससे संबंधित काल भैरव की सिद्धि न की जाए |
ये काल भैरव और उससे संबंधित दस महाविद्याएं रुद्रयामल तंत्र के अनुसार निम्नलिखित है —
१) मतंग भैरव–मातंगी
२) नारायण भैरव–कमला
३) महादेव भैरव–भुवनेश्वरी
४) अक्षम्य भैरव–तारा
५) महाकाल भैरव–कालिका
६) मृत्युंजय भैरव–बगलामुखी
७) बटुक भैरव–भैरवी
८) काल भैरव –धूमावती
९) ललितेस्वर भैरव–त्रिपुर सुन्दरी
१० ) विकराल भैरव– छिन्नमस्ता
कुण्डली रूद्रयामल तंत्र/रूद्रयामल तन्त्र/मंत्र
साघना के लिए भैरव साधना अत्यंत ही सुखदायक और सरल साधना है जिसे कोई भी साधक अपना सकता है |
साधना के लिए जानने योग्य तथ्य–
१) यह साधना कामना के साथ की जाती है क्योंकि यह साधना साकाम्य है |
२) पूजा में साधना के अनुसार भोग बदलता रहता है | मुख्यत: लड्डू सोमवार को, गुड और घी से बनी हुई लापसी मंगलवार को, दही- चुड़वा बुधवार को, लड्डू बेसन के बने हुए गुरुवार को, चने भुने गुए शुक्रवार को, पकोड़े उड़द की दाल के बने हुए शनिवार को और दूध से बनी हुई खीर रविवार को भोग के रूप में व्यवहार क्या जाता है | इसके अलावा सेब, जलेबी और तले गुए पापड़ आदि का भी भोग लगता है |
३) विशिष्ट परियोजन के समय सुरा का भी भोग के रूप में व्यवहार क्या जाता है | यह साधना प्राय: रात्रि के समय ही सम्पन्न की जाती है |
४) पूजा के पश्चात भैरव को लगाया हुआ प्रसाद पूजा स्थान के बाहर नहीं जाना चाहिए | इसलिए वहीं पर प्रसाद को पूरा कर दे |
५) मंत्र साधना में धूप, अगरबत्ती और गूगल के साथ-साथ केवल तेल के द्वारा बनाए हुए दीपक का ही व्यवहार किया जाता है |
६) बटुक भैरव का चित्र या यंत्र को स्थापित कर मंत्र सिद्ध करे |
७) केवल काली हकीक की माला का ही प्रयोग करें
विधि– किसी भी रविवार को यह सिद्धि संपन्न की जा सकती है | साधना वाले दिन स्नानोपरान्त स्वच्छ स्थान पर स्वच्छ वस्त्र धारण कर बैठ जाएं | साधना रात्रि को हीं करें | अपना मुंह दक्षिण की तरफ रखे | अब अपने सामने एक पाटे पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर सबसे पहले गुरु का चित्र या गुरु-चरण की पादुका अथवा उनका मूर्ति स्थापित करें | अब उसके बगल में भैरव का चित्र या मुर्ति की स्थापना करे | फिर पंचोपचार द्वारा गुरु पूजन करे | यह करने के बाद एक तांबे के पत्र में त्रिभुज बनाएं कुमकुम के द्वारा | अब इसपर स्थापित करे बटुक भैरव यंत्र और इसे रख दे भैरव के चित्र के सामने | दीपक जलाए तेल का और कुमकुम, चावल और पुष्प से पूजन करें और हाथ जोड़कर बटुक भगवान का स्मरण करे |
ध्यान मंत्र–” वंदे बालं स्फटिक-सदृशम, कुन्तलोल्लासि-वक्त्रम् |
दिव्याकल्पैर्नव-मणि-मयै: किंकिणी-नूपुराढ्यै: ||
दीप्ताकारं विशद-वदनं, सुप्रसन्न त्रि-नेत्रम् |
हस्ताब्जाभ्यां बटुकमनिशं, शूल- दण्डौ दधानम् |”
भैरव भगवान के ध्यान में उनके बाल स्वरूप और आपदा उद्धारक स्वरूप का ध्यान करते हुए धूप,दीप, पुष्प, सुगंध से बटुक भैरव यंत्र का पूजन करें नीचे दिए मंत्रों के द्वारा–
… “ ओम् लं पृथ्वी-तत्त्वात्मकं गन्धं श्रीमद् आपदुद्धारण- बटुक भैरव-प्रीत्यर्थे समर्पयामि नमः |”
…”ओम् हं आकाश-तत्वात्मकं पुष्पं श्रीमद् आपदुद्धारण-बटुक-भैरव-प्रीत्यर्थे समर्पयामि नम: |”
…”ओम् यं वायु तत्वात्मकं धूपं श्रीमद् आपदुद्धारण-बटुक-भैरव-प्रीत्यर्थे घ्रापयामि नम: |”
…”ओम रं अग्नि तत्वात्मकं दीपं श्रीमद् आपदु द्धारण-बटुक-भैरव प्रीत्यर्थे घ्रापयामि नम: |”
…”ओम् सं सर्व तत्वात्मकं तांबूल श्रीमद् आपदुद्धारणाय बटुक-भैरव प्रीत्यर्थे समर्पयामि नम: |“
यंत्र पूजन के बाद काले हकीक की माला द्वारा सात माला जाप करें नीचे दिए गए बटुक भैरव मंत्र का | यह मंत्र है–”ओम् ह्वी बटुकाए ओपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्वीं ओम् स्वाहा ||”.. एक दिवसीय उपरोक्त साधना की पूर्णता के बाद प्रतिदिन भैरव मंत्र को अपने सामने रखकर २१ अक्षरी इस मंत्र का एक महीने तक जाप करें | इसके पश्चात माला एवं यंत्र को विसर्जित कर दें जल में | आपकी मनोकामना की पूर्ति अवश्य ही होगी |
रुद्रयामल तंत्र वशीकरण
“ॐ वज्रकरण शिवे रुध रुध भवे ममाई अमृत कुरु कुरु स्वाहा”.. सबसे पहले इस मंत्र को सिद्ध करे | सिद्ध करने के लिए किसी शिवालय या शांत स्थान अथवा एकांत स्थान का चयन करें और समय रखें ब्रह्ममुहुर्त या अर्ध रात्रि का | फिर स्नानोपरान्त शिवजी के सामने आसन बिछा कर बैठ जाए | अब शिवजी की धूप-दीप, पुष्प, बेलपत्र आदि से पूजा अर्चना करें | एक दीपक जलाएं और दस हजार बार उपरोक्त मंत्र का जाप का इसे सिद्ध कर ले | ध्यान रहे यह क्रिया शिवरात्रि या सूर्य अथवा चंद्र ग्रहण के समय ही करें | मंत्र सिद्ध होने के बाद जब आपको जरुरत महसूस हो उस वक्त सफेद अश्वगंधा को पानी में पीसकर पेस्ट बना लें और ग्यारह बार उपरोक्त मंत्र का जाप करें | अब इसे काजल की तरह आंखों में लगाए | इस पेस्ट लगे आंखों से आप जिसे दिखेंगे वह आपके वश में हो जाएगा |
इसके अलावा मातूल और चंदन को पीसकर पेस्ट बना ले | फिर ग्यारह बार उपरोक्त मंत्र का जाप करते हुए तिलक लगा ले | इसे लगाकर आप जिसके सामने जाएंगे वह आपके वशीभूत हो जाएगा |
एक अन्य उपाय यही है भी है कि..गौरचन और मतुल को मिलाकर पेस्ट बना ले | वशीभूत करने वाले व्यक्ति के सामने इसका तिलक लगाकर जाए अपने मस्तिष्क पर परिणाम देखने को मिलेगा |